लेखनी कहानी -01-Jul-2023
जो बीत गई सो बीत गई-
जो बीत गई सो बीत गई
सोच के क्या हासिल होगा
कुछ दूरी पर हैं दर्द गिरे
उन्हें समेटकर क्या होगा
नयन से आंसू सूख गए
अब आंखें धोकर क्या होगा
कुछ रिश्तों में नमक अधिक था
स्वाद बढ़ाकर क्या होगा
जी भर के जब जी ही लिए
बैर बढ़ाकर क्या होगा
कड़वा करेला या नीम रहो
शहद बनाकर क्या होगा
तुम अपने राह पर चलो
हमें तुमसे क्या लेना होगा
अपने-अपने ढ़ंग सभी के
दूर से ही कहना होगा
महान सभी हैं स्वयं में
सबको ही समझना होगा
जो बीत गई सो बीत गई
सोच के क्या हासिल होगा॥
किरण मिश्रा #निधि#
आधेअधूरे मिसरे/प्रसिद्ध पंक्तियाँ
Shashank मणि Yadava 'सनम'
07-Sep-2023 04:46 PM
सुन्दर सृजन
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